आजकल हम सभी सोशल मीडिया पर चमक-धमक वाली दुनिया देखते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे समाज का एक ऐसा भी हिस्सा है जो परदे के पीछे रहकर अपने परिवार का पेट पालता है?
नाइजीरिया की घरेलू कामगार महिलाओं की कहानी कुछ ऐसी ही है, जहाँ अक्सर हमारी बहनें और बेटियाँ दिन-रात मेहनत करती हैं। मैंने अपने रिसर्च और लोगों से बात करके यह महसूस किया है कि इन मेहनती बहनों को लंबी शिफ्ट, कम वेतन और कई बार तो सम्मान की कमी जैसे गंभीर मुद्दों का सामना करना पड़ता है। यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता और जिस पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है। इन महिलाओं का जीवन संघर्ष और उम्मीदों से भरा है, और इनके अनुभव हमें बहुत कुछ सिखाते हैं। आइए, इस अदृश्य दुनिया की गहराई में उतरकर इनकी असली चुनौतियों और जज़्बे को जानते हैं।
पर्दे के पीछे की अनकही कहानियाँ

सुबह से शाम तक की जद्दोजहद
कभी-कभी हम अपनी दिनचर्या में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि यह भूल जाते हैं कि हमारे आसपास कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनकी जिंदगी सिर्फ संघर्ष से भरी है। नाइजीरिया में घरेलू कामगार महिलाएं, खासकर हमारी बहनें, हर सुबह सूरज उगने से पहले उठ जाती हैं और देर रात तक दूसरों के घरों में काम करती हैं। मैंने अपनी आँखों से देखा है कि कैसे वे हर दिन एक ही रूटीन को दोहराती हैं – खाना बनाना, साफ-सफाई करना, बच्चों की देखभाल करना, कपड़े धोना। यह सब काम करते हुए उनका शरीर थक जाता है, लेकिन उनके चेहरे पर एक अजीब सी दृढ़ता रहती है। वे जानती हैं कि उन्हें अपने परिवार के लिए ये सब करना है। कई बार तो उन्हें अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को भी पूरा करने का समय नहीं मिलता। मुझे याद है एक बार मैं लागोस के एक बाजार से गुजर रहा था, जहाँ मैंने एक महिला को देखा जो इतनी सुबह अपनी घर की साफ-सफाई का सामान खरीद रही थी, उसकी आँखों में गहरी नींद की कमी दिख रही थी। यह दृश्य मुझे आज भी याद आता है, यह दर्शाता है कि उनकी जिंदगी कितनी मुश्किलों से भरी है।
बच्चों और परिवार का सहारा
इन महिलाओं के लिए उनका परिवार ही उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा होता है। वे अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य की उम्मीद में हर मुश्किल का सामना करती हैं। मैंने कई माताओं से बात की है जिन्होंने बताया कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहती हैं, ताकि उन्हें कभी वो दिन न देखने पड़ें जो उन्होंने देखे हैं। यह एक दिल छू लेने वाली भावना है। वे घर पर अपने बच्चों को अकेला छोड़ कर आती हैं, और दिन भर उनके लिए मेहनत करती हैं। शाम को जब वे घर लौटती हैं, तो थकान के बावजूद, वे अपने बच्चों के साथ समय बिताने की पूरी कोशिश करती हैं। यह उनके लिए सिर्फ काम नहीं, बल्कि अपने परिवार के प्रति उनका प्यार और जिम्मेदारी है। उनकी कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि प्यार और समर्पण किसी भी मुश्किल से लड़ने की ताकत देता है।
इज्जत और पहचान की तलाश
समाज में अनदेखी का दर्द
यह बात मुझे हमेशा परेशान करती है कि कैसे हमारे समाज में घरेलू कामगारों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। उनकी कड़ी मेहनत और योगदान को शायद ही कभी सराहा जाता है। कई बार तो उन्हें वो सम्मान भी नहीं मिल पाता जिसकी वे हकदार हैं। मैंने खुद महसूस किया है कि लोग उन्हें सिर्फ ‘नौकर’ समझ कर उनसे बात करते हैं, जबकि वे किसी भी अन्य पेशे की तरह ही महत्वपूर्ण काम कर रही होती हैं। उनके काम को अक्सर कमतर आंका जाता है, जिससे उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचती है। यह सिर्फ नाइजीरिया की ही नहीं, बल्कि कई विकासशील देशों की समस्या है। हमें यह समझना होगा कि हर इंसान, चाहे वह कोई भी काम करता हो, सम्मान का हकदार है। जब हम उन्हें सम्मान देते हैं, तो वे और भी बेहतर तरीके से अपना काम करती हैं और समाज में उनका योगदान और भी बढ़ता है।
पहचान दिलाने के लिए क्या करें?
मुझे लगता है कि इन महिलाओं को समाज में सही पहचान दिलाने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे। सबसे पहले, हमें अपनी सोच बदलनी होगी। हमें उन्हें ‘घर का सदस्य’ या ‘सहायक’ के तौर पर देखना चाहिए, न कि सिर्फ ‘नौकर’ के तौर पर। सरकारों को भी उनके लिए उचित कानून बनाने चाहिए ताकि उनके काम को मान्यता मिल सके और उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिल पाए। मैंने देखा है कि कई जगहों पर उनके लिए संगठन बनाए गए हैं जो उनके अधिकारों के लिए लड़ते हैं। हमें ऐसे संगठनों का समर्थन करना चाहिए। यह सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए फायदेमंद होगा। जब हम किसी को पहचान और सम्मान देते हैं, तो वह सशक्त महसूस करता है और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए और अधिक प्रयास करता है। यह एक छोटा सा कदम है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।
आर्थिक चुनौतियाँ और उम्मीदें
पेट पालने की मुश्किल जंग
नाइजीरिया की इन घरेलू कामगार महिलाओं के लिए पेट पालना एक रोज़ की जंग है। उन्हें अक्सर बहुत कम वेतन मिलता है, जो उनके परिवार की बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करने के लिए काफी नहीं होता। मैंने कई महिलाओं से बात की है जिन्होंने बताया कि उन्हें महीने के अंत में इतनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है कि कई बार तो बच्चों को स्कूल भेजने के पैसे भी नहीं होते। महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन उनके वेतन में कोई खास बढ़ोतरी नहीं होती। यह एक ऐसी सच्चाई है जो हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे इतनी मेहनत के बाद भी उन्हें आर्थिक स्थिरता नहीं मिल पाती। उन्हें अक्सर अपनी आय में कटौती करनी पड़ती है या अतिरिक्त काम ढूंढना पड़ता है ताकि वे अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर सकें।
छोटे-छोटे सपनों की उड़ान
इन सबके बावजूद, इन महिलाओं की आँखों में एक उम्मीद हमेशा कायम रहती है। वे अपने बच्चों के लिए, अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य के छोटे-छोटे सपने देखती हैं। कुछ महिलाएं बचत करके अपना छोटा-मोटा व्यवसाय शुरू करने की कोशिश करती हैं, जैसे कपड़े बेचना या छोटा सा भोजनालय चलाना। मैंने एक महिला से बात की थी जिसने अपने बचत से एक सिलाई मशीन खरीदी थी और अब वह शाम को कपड़े सिलकर अतिरिक्त आय कमाती है। यह दिखाता है कि वे कितनी दृढ़ इच्छाशक्ति वाली हैं। ये छोटे-छोटे प्रयास ही उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। मुझे लगता है कि हमें उन्हें ऐसे अवसरों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और अगर संभव हो तो उन्हें प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता भी देनी चाहिए। उनके सपने सिर्फ उनके नहीं, बल्कि पूरे समाज के सपने हैं।
सेहत और सुरक्षा की चिंताएँ
बिना छुट्टी, बिना आराम
घरेलू कामगारों की जिंदगी में सबसे बड़ी चुनौती है बिना आराम के लगातार काम करना। मैंने देखा है कि कई महिलाओं को छुट्टी तक नहीं मिलती। वे दिन-रात काम करती रहती हैं, जिसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। शारीरिक श्रम और मानसिक तनाव उन्हें थका देता है। पीठ दर्द, जोड़ों का दर्द, और लगातार तनाव उनके जीवन का हिस्सा बन जाता है। उन्हें अक्सर चिकित्सा सुविधाओं तक पहुँचने में भी मुश्किल होती है क्योंकि उनके पास पैसे की कमी होती है या काम से छुट्टी नहीं मिल पाती। एक बार मैंने एक महिला से बात की थी जो लगातार 12 घंटे काम करती थी और उसे अपनी कमर में हमेशा दर्द रहता था, लेकिन उसके पास डॉक्टर के पास जाने के लिए न समय था और न ही पैसे। यह बहुत दुखद है कि उनके स्वास्थ्य को इतना नजरअंदाज किया जाता है।
काम पर सुरक्षा के सवाल
उनकी सुरक्षा भी एक गंभीर चिंता का विषय है। कई बार उन्हें काम के दौरान उत्पीड़न या दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। मैंने ऐसी कई कहानियाँ सुनी हैं जहाँ इन महिलाओं को शारीरिक या मौखिक उत्पीड़न झेलना पड़ा है। क्योंकि वे अक्सर अकेले काम करती हैं और उनके पास कानूनी सुरक्षा का अभाव होता है, वे ऐसे अनुभवों के बारे में बात करने से डरती हैं। यह एक ऐसी समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके काम करने की जगह सुरक्षित हो और उनके अधिकारों की रक्षा की जाए। मुझे लगता है कि इस पर कड़े कानून बनने चाहिए और उनका पालन भी सख्ती से होना चाहिए। उनकी सुरक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
कानून और हक़ों की बातें

सरकारी मदद कितनी?
यह जानकर दुःख होता है कि नाइजीरिया में घरेलू कामगारों के लिए स्पष्ट और मजबूत कानूनी ढांचा अभी भी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। मैंने अपने शोध में पाया है कि कई देशों में इनके लिए विशिष्ट कानून और नीतियां हैं, लेकिन नाइजीरिया में यह प्रक्रिया अभी धीमी है। इसका मतलब है कि उन्हें अक्सर अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती और उन्हें कानूनी मदद भी आसानी से नहीं मिल पाती। अगर कोई समस्या होती है, तो उन्हें नहीं पता होता कि कहाँ जाना है या किससे मदद लेनी है। मुझे लगता है कि सरकार को इस दिशा में और अधिक सक्रिय होना चाहिए। उन्हें जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिए ताकि ये महिलाएं अपने अधिकारों को जान सकें और उनका उपयोग कर सकें।
अपने हक़ों के लिए आवाज़ उठाना
लेकिन मुझे यह देखकर खुशी होती है कि कई जगहों पर ये महिलाएं अपने हकों के लिए आवाज उठाना सीख रही हैं। छोटे-छोटे समूह बन रहे हैं जो मिलकर अपनी समस्याओं को उठाते हैं और समाधान खोजने की कोशिश करते हैं। मैंने एक ऐसे समूह के बारे में पढ़ा था जिसने अपने अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें कुछ सफलता भी मिली। यह दिखाता है कि जब वे एकजुट होती हैं, तो उनमें कितनी ताकत होती है। हमें उन्हें सशक्त बनाने के लिए हर संभव मदद देनी चाहिए ताकि वे अपनी बात को मजबूती से रख सकें। मुझे पूरा विश्वास है कि अगर उन्हें सही मार्गदर्शन और समर्थन मिले, तो वे अपने लिए बेहतर परिस्थितियाँ बनाने में सफल होंगी।
आपसी सहयोग और सशक्तिकरण
एक-दूसरे का हाथ थामना
मैंने हमेशा महसूस किया है कि जब लोग एक-दूसरे का साथ देते हैं, तो सबसे बड़ी चुनौती भी छोटी लगने लगती है। नाइजीरिया की घरेलू कामगार महिलाओं के बीच भी यह भावना बहुत मजबूत है। वे अक्सर एक-दूसरे की मदद करती हैं, चाहे वह बच्चों की देखभाल में हो या मुश्किल समय में भावनात्मक सहारा देने में। मुझे याद है एक बार मैं एक सामुदायिक बैठक में गया था जहाँ इन महिलाओं ने मिलकर एक छोटी बचत योजना बनाई थी। हर महीने वे अपनी थोड़ी-थोड़ी कमाई उसमें डालती थीं, और जब किसी को जरूरत पड़ती थी, तो वे इस पैसे का इस्तेमाल करती थीं। यह सिर्फ पैसे की मदद नहीं थी, बल्कि यह विश्वास था कि वे अकेली नहीं हैं। यह दिखाता है कि आपसी सहयोग कितना महत्वपूर्ण है और कैसे छोटी-छोटी पहलें बड़े बदलाव ला सकती हैं।
शिक्षा से बदलाव की उम्मीद
शिक्षा, जैसा कि हम सब जानते हैं, किसी भी बदलाव की नींव होती है। इन महिलाओं के लिए भी शिक्षा एक ऐसी चाबी है जो उनके जीवन के कई दरवाजे खोल सकती है। कई गैर-सरकारी संगठन उन्हें बुनियादी शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं। मैंने देखा है कि जब इन महिलाओं को पढ़ना-लिखना आता है या कोई नया कौशल सीखने को मिलता है, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ जाता है। वे अपनी बात को बेहतर तरीके से रख पाती हैं और उन्हें बेहतर काम के अवसर भी मिलते हैं। मुझे लगता है कि हमें शिक्षा के महत्व को समझना चाहिए और उन्हें ऐसे कार्यक्रमों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। यह उनके बच्चों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
एक बेहतर भविष्य की राह
छोटे कदमों से बड़े बदलाव
एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ना कोई एक दिन का काम नहीं होता, बल्कि यह छोटे-छोटे कदमों का परिणाम होता है। इन घरेलू कामगार महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए हमें लगातार प्रयास करने होंगे। इसमें सरकार, नियोक्ता, और समाज के हर व्यक्ति की भूमिका है। मैंने देखा है कि जब नियोक्ता अपने कामगारों के साथ सम्मान से पेश आते हैं और उन्हें उचित वेतन देते हैं, तो उनका काम भी बेहतर होता है और वे खुश भी रहती हैं। छोटे-छोटे बदलाव, जैसे कि उन्हें नियमित छुट्टी देना, उचित काम के घंटे तय करना, और उन्हें स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना, उनके जीवन को बहुत हद तक सुधार सकते हैं। यह न सिर्फ उनकी जिंदगी को आसान बनाएगा, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी देगा। हमें यह समझना होगा कि उनका योगदान अमूल्य है।
हमारा योगदान कैसे हो?
हम सब इस बदलाव का हिस्सा बन सकते हैं। सबसे पहले, हमें अपने आस-पास काम करने वाले घरेलू कामगारों के साथ सम्मान और सहानुभूति से पेश आना चाहिए। अगर हम उनके अधिकारों के बारे में जानते हैं, तो हमें उन्हें शिक्षित करना चाहिए। अगर हमें कहीं कोई दुर्व्यवहार होता दिखता है, तो हमें उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। इसके अलावा, हम उन संगठनों का समर्थन कर सकते हैं जो इन महिलाओं के अधिकारों के लिए काम कर रहे हैं। आपकी थोड़ी सी मदद भी उनके जीवन में बड़ा फर्क ला सकती है। मुझे लगता है कि जब हम सब मिलकर काम करेंगे, तभी इन मेहनती महिलाओं को वह सम्मान और अधिकार मिल पाएगा जिसकी वे हकदार हैं। यह सिर्फ एक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि मानवीय कर्तव्य भी है।
| चुनौती | विवरण | संभावित समाधान |
|---|---|---|
| कम वेतन | अक्सर परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी पर्याप्त नहीं। | न्यूनतम वेतन कानूनों का क्रियान्वयन, आय के अन्य स्रोत ढूँढने में मदद। |
| काम के लंबे घंटे | बिना छुट्टी और पर्याप्त आराम के लगातार काम करना, जिससे स्वास्थ्य पर असर। | नियमित काम के घंटों और छुट्टी के लिए कानूनी प्रावधान, नियोक्ताओं द्वारा पालन। |
| सामाजिक अनदेखी | उनके काम को कमतर आंकना और सम्मान न देना। | जागरूकता अभियान, उनके योगदान को पहचानना। |
| सुरक्षा का अभाव | काम के दौरान उत्पीड़न या दुर्व्यवहार का खतरा। | कड़े कानून, शिकायत तंत्र स्थापित करना, सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करना। |
| स्वास्थ्य समस्याएँ | चिकित्सा सुविधाओं तक पहुँच में कमी, लगातार शारीरिक श्रम से होने वाली बीमारियाँ। | स्वास्थ्य बीमा, चिकित्सा शिविर, काम से छुट्टी की सुविधा। |
बात खत्म करते हुए
हमने नाइजीरिया की इन मेहनती घरेलू कामगार बहनों की कहानियों को करीब से देखा है। उनकी हर सुबह संघर्ष से शुरू होती है और हर रात एक उम्मीद पर खत्म होती है। यह सिर्फ उनकी कहानी नहीं, बल्कि हमारे समाज के एक बड़े हिस्से की हकीकत है जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। मुझे उम्मीद है कि इन बातों को जानकर आपके मन में उनके प्रति सम्मान और सहानुभूति की भावना और गहरी हुई होगी। हमें यह समझना होगा कि उनके बिना हमारा समाज अधूरा है, और उनका सम्मान हमारा सामूहिक कर्तव्य है। आइए, हम सब मिलकर उनके लिए एक बेहतर और सुरक्षित दुनिया बनाने की दिशा में छोटे-छोटे कदम उठाएँ।
कुछ काम की बातें जो आपको पता होनी चाहिए
1. घरेलू कामगारों के अधिकार जानें: कई देशों में घरेलू कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन, काम के घंटे और छुट्टी से जुड़े कानून हैं। आप अपने देश या क्षेत्र के कानूनों को जानकर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उन्हें उचित व्यवहार मिले। उनके अधिकारों की जानकारी होना उन्हें सशक्त बनाता है।
2. सम्मानजनक व्यवहार अपनाएं: अपने घर में काम करने वाले लोगों को परिवार का सदस्य मानें, न कि सिर्फ कर्मचारी। उनके साथ सम्मान से बात करें और उनकी भावनाओं का खयाल रखें। एक छोटा सा सम्मान का भाव उनके आत्म-सम्मान को बढ़ा सकता है।
3. सहायक संगठनों से जुड़ें: कई गैर-सरकारी संगठन और स्वयंसेवी संस्थाएं घरेलू कामगारों के अधिकारों के लिए काम करती हैं। अगर आप उनकी मदद करना चाहते हैं, तो ऐसे संगठनों से जुड़ सकते हैं या उन्हें आर्थिक रूप से सहायता दे सकते हैं।
4. सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा दें: अपने पड़ोस या समुदाय में ऐसे समूह बनाने में मदद करें जहाँ घरेलू कामगार अपनी समस्याओं को साझा कर सकें और एक-दूसरे का समर्थन कर सकें। आपसी सहयोग से वे मजबूत महसूस करती हैं।
5. नीतिगत बदलावों का समर्थन करें: सरकार से घरेलू कामगारों के लिए बेहतर नीतियां और कानून बनाने की मांग करें। उनके लिए सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा और बेहतर काम की परिस्थितियों को सुनिश्चित करने वाले कानूनों का समर्थन करें।
मुख्य बातें सारांश में
नाइजीरिया में घरेलू कामगार महिलाएं हमारे समाज का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को आसान बनाती हैं। इसके बावजूद, उन्हें अक्सर कम वेतन, लंबे काम के घंटे, सामाजिक उपेक्षा और असुरक्षित कार्य वातावरण जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उनकी कहानियाँ हमें उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने परिवारों के प्रति उनके अटूट समर्पण को दिखाती हैं। हमें यह समझना होगा कि उनके अधिकार और सम्मान को सुनिश्चित करना सिर्फ सरकारों या संगठनों का काम नहीं, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है। इन महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें जागरूकता, उचित कानूनी सहायता, सम्मानजनक व्यवहार और बेहतर सामाजिक सुरक्षा शामिल है। उनका बेहतर भविष्य हमारे सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖
प्र: नाइजीरियाई घरेलू कामगार महिलाएं अक्सर किन सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करती हैं?
उ: मैंने अपनी रिसर्च में और कई बहनों से बात करके यह महसूस किया है कि नाइजीरिया में हमारी इन मेहनती घरेलू कामगार बहनों के सामने चुनौतियों का एक पहाड़ खड़ा है। सबसे पहली और सबसे बड़ी समस्या है घंटों लंबी शिफ्ट। आप सोचिए, सुबह तड़के उठना और देर रात तक काम करते रहना, बिना किसी छुट्टी के!
मुझे याद है एक बार मैं अपनी एक जान-पहचान वाली दीदी से मिली थी, उन्होंने बताया कि वे पूरे महीने में एक भी दिन अपने बच्चों से ठीक से बात नहीं कर पाती थीं क्योंकि काम ही इतना होता था। इसके साथ ही, अक्सर उन्हें बहुत कम वेतन मिलता है, जो उनकी कड़ी मेहनत के सामने कुछ भी नहीं होता। कभी-कभी तो लोग उन्हें पैसे देने से भी कतराते हैं या बहाने बनाते हैं। और हाँ, सबसे दुखद बात है सम्मान की कमी। कई बार उन्हें घर के सदस्यों से अच्छा व्यवहार नहीं मिलता, उन्हें नौकरानी की तरह नहीं, बल्कि किसी वस्तु की तरह समझा जाता है। मेरी एक दोस्त ने बताया था कि उसकी मेड को कभी-कभी तो एक गिलास पानी के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़ता था, मानो उनका अपना कोई अस्तित्व ही न हो। यह सब देखकर मेरा मन बहुत व्यथित होता है, क्योंकि हर इंसान को सम्मान और उचित मेहनताना पाने का हक है।
प्र: इन महिलाओं को इतनी मुश्किल परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ता है, और वे मदद क्यों नहीं मांग पातीं?
उ: यह एक ऐसा सवाल है जो मुझे भी बहुत परेशान करता है, और सच कहूँ तो इसकी जड़ें हमारे समाज में काफी गहरी हैं। मैंने देखा है कि ज्यादातर मामलों में, इन महिलाओं के पास कोई और विकल्प नहीं होता। आर्थिक तंगी एक बहुत बड़ी वजह है। जब पेट पालना हो, बच्चों की फीस भरनी हो, तो इंसान कुछ भी करने को मजबूर हो जाता है। बहुत सारी बहनें गांवों से आती हैं, जहाँ उन्हें शिक्षा का मौका नहीं मिला होता, और शहरों में उन्हें आसानी से नौकरी नहीं मिलती। ऐसे में घरेलू काम सबसे आसान रास्ता लगता है, भले ही उसमें शोषण की कितनी भी संभावना हो। इसके अलावा, समाज में घरेलू काम को लेकर एक अजीब सी धारणा भी है – इसे अक्सर ‘काम’ माना ही नहीं जाता, बल्कि बस एक ‘मजबूरी’ समझा जाता है। वे डरती हैं कि अगर शिकायत की तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा, फिर अगला काम कहाँ से मिलेगा?
कानून की जानकारी न होना और कानूनी प्रक्रिया से डरना भी उन्हें चुप रहने पर मजबूर करता है। मुझे याद है एक बार एक दीदी ने हिम्मत करके शिकायत की थी, लेकिन उन्हें ही उलटा धमकाया गया और उन्हें पुलिस स्टेशन के चक्कर लगाने पड़े, जिससे वे और डर गईं। यही वजह है कि वे अक्सर अपनी आपबीती किसी को बता नहीं पातीं, और चुपचाप सब सहती रहती हैं।
प्र: इन नाइजीरियाई घरेलू कामगार महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए हम क्या कर सकते हैं और क्या कोई उम्मीद की किरण है?
उ: बिल्कुल उम्मीद की किरण तो हमेशा होती है, दोस्तो! मेरा तो हमेशा से मानना रहा है कि जहाँ समस्या है, वहाँ समाधान भी ज़रूर होता है, बस हमें उसे खोजना पड़ता है। मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि सबसे पहले तो हमें खुद को और अपने आसपास के लोगों को जागरूक करना होगा। हमें यह समझना होगा कि घरेलू कामगार भी इंसान हैं, उनके भी अधिकार हैं। जब हम अपने घर में किसी को काम पर रखें, तो एक लिखित समझौता करें, जिसमें काम के घंटे, वेतन और छुट्टी साफ-साफ लिखी हों। मेरी एक दोस्त ने ऐसा करना शुरू किया है और अब उसकी मेड बहुत खुश है क्योंकि उसे पता है कि उसके अधिकार क्या हैं। सरकार और स्वयंसेवी संगठनों को भी मजबूत कानून बनाने और उन्हें सख्ती से लागू करने की जरूरत है। मैंने पढ़ा है कि कुछ संगठन जागरूकता अभियान चला रहे हैं और इन महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बता रहे हैं, जो बहुत अच्छी बात है। हम सब मिलकर, छोटे-छोटे कदम उठाकर भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं। अगर हम अपने आसपास किसी घरेलू कामगार को परेशानी में देखें, तो मदद का हाथ बढ़ाएँ, उन्हें सही जानकारी दें, या किसी भरोसेमंद संगठन से संपर्क करने में उनकी मदद करें। आखिर, वे भी हमारी बहनें हैं, हमारी बेटियाँ हैं, और उन्हें भी एक सम्मानजनक जीवन जीने का पूरा हक है। हमें उनकी आवाज बनना होगा।






